पाटन 18 नवंबर : विश्व मत्स्यिकी दिवस के अवसर पर विशाल मछुआरा सम्मेलन कार्यक्रम बाजपेयी मैदान, प्रताप चौक, तिलक नगर, राम मंदिर के सामने, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में 21 नवंबर को प्रातः 11.30 बजे से किया जा रहा हैं। कार्यक्रम के जानकारी देते हुए तहसील निषाद समाज पाटन के अध्यक्ष एवं पूर्व मछुआ कल्याण बोर्ड के सदस्य देव कुमार निषाद ने कहा है कि उक्त कार्यक्रम में समाज के लोगों को आमंत्रित कर कहा की स्वजातीय स्वजनो आपको आमंत्रित करते हुए अत्यंत ही हर्ष हो रहा है कि, छत्तीसगढ़ मछुआ महासंघ के बैनर तले आगामी 21 नवंबर 2024 को बाजपेयी मैदान, बिलासपुर में प्रातः 11.30 बजे से छठवां विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर विशाल मछुआरा सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। साथियों विदित हो कि मछुआ महासंघ प्रारंभ से ही अपनी दो प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलनरत है।
जिसमें पहली मांग कांग्रेस के शासनकाल में नवीन मछली नीति कृषि को दर्जा के साथ लागू हो चुका है और हमारी दूसरी महत्वपूर्ण मांग मछुआरा समाज के केवट, धीवर, कहार, कहरा, मल्लाह जाति को अनुसूचित जनजाति को दर्जा दिलाना पूर्व में 8 मई 2008 को पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा अपने कैबिनेट में उक्त जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव पारित कर केन्द्र शासन को भेजा था किंतु गलत निरजाति सर्वेक्षण रिपोर्ट भेजे जाने के कारण केन्द्र शासन द्वारा पुनः सुधार के लिए वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ शासन को वापिस किया गया था जिसे सुधार कर तत्कालिक सरकार से दोबारा भेजने के लिए आग्रह किया गया किंतु छत्तीसगढ़ शासन से रिपोर्ट नहीं जाने के कारण आज भी प्रकरण लंबित है। 7 जनवरी 1950 को भारत शासन द्वारा प्रकाशित राजपत्र में माझी के अंतर्गत केवट, मल्लाह, भोई, ढीमर को संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप आरक्षण दिया गया था।