करन साहू, रानीतराई 26 जुलाई : दुर्ग जिला अंतर्गत स्व. दाऊ रामचंद्र साहू शासकीय महाविद्यालय रानीतराई में ‘ कारगिल विजय दिवस ‘का आयोजन प्राचार्य डॉ. आलोक शुक्ला के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में महाविद्यालय के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक श्री चंदन गोस्वामी ने कारगिल विजय दिवस के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि कारगिल विजय दिवस, हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, 1999 में ऑपरेशन विजय की सफलता की याद में मनाया जाता है। इस संघर्ष के दौरान, भारतीय बलों ने जम्मू और कश्मीर के कारगिल सेक्टर में रणनीतिक पदों को सफलतापूर्वक पुनः प्राप्त कर लिया, जो पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की गई थी। यह दिन भारतीय सेना के अदम्य साहस, कुशल युद्ध नीति, वीरता, जवानों की बहादुरी, शौर्य और पराक्रम का प्रतीक है । कारगिल विजय दिवस के अवसर पर सभी देशवासी कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं जिन्होंने देश की सीमा की सुरक्षा के लिए वीरता के साथ लड़ाई लड़ी।
डॉ रेश्मी महिश्वर ने कहा कि हम 25वा विजय दिवस मना रहे हैं और यह दिवस भारतवासियों के लिए गौरांवित करने वाला दिवस है परंतु कारगिल युद्ध में कई मां ने अपने बेटों को, बहनों ने अपने भाइयों को एवं पत्नियों ने अपने पति को खोया है तो यह देशवासियों के लिए एक दुखद क्षण भी है।
अतिथी व्याख्याता श्री टिकेश्वर पाटिल ने अपने वक्तत्य मे कहा – भारत और पाकिस्तान द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनो देशो ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए । जिसमे कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था , लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिको और अर्ध- सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “आपरेशन बद्र ” रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की सामंजस्य को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दों को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने मे मदद मिलेगी। भारत सरकार ने आपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिको को कारगिल क्षेत्र में भेजा । यह युद्ध अधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ । कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला । इस युद्ध में भारत विजय हुआ । युद्ध दौरान 527 सैनिको ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे। करगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में भाग लेने वाले सैनिको के सम्मान मैं मनाया जाता है। यह दिन पूरे भारत और राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली मे मनाया जाता है , जहाँ भारत के प्रधानमंत्री हर वर्ष इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर सैनिको को श्रध्दांजली देते है । भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान को याद करने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
इस कार्यक्रम में समस्त सहायक प्राध्यापक डॉ. रेश्मी महिश्वर, सुश्री भारती गायकवाड, श्रीमती शगुफ्ता सिद्दीकी श्रीमती अंबिका ठाकुर बर्मन श्रीमती आराधना देवांगन एवं रासेयो कार्यक्रम अधिकारी सुश्री रेणुका वर्मा तथा अतिथि व्याख्याता में सुश्री शिखा मढ़रिया, कार्यालयीन कर्मचारी मे श्री नरेश मेश्राम, श्रीमती महेश्वरी निषाद, मोहित एवं समस्त छात्र – छात्राएँ अधिक संख्या में उपस्थित थे।