सिद्ध कुंजिका स्तोत्र: जीवन में सफलता की कुंजी है “सिद्ध कुंजिका”/ पंडित कृष्ण कुमार तिवारी

पाटन 9 अप्रैल : दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक अत्यंत चमत्कारिक और तीव्र प्रभाव दिखाने वाला स्तोत्र है। जो लोग पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते वे केवल कुंजिका स्तोत्र का पाठ करेंगे तो उससे भी संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का फल मिल जाता है। जीवन में किसी भी प्रकार के अभाव, रोग, कष्ट, दुख, दारिद्रय और शत्रुओं का नाश करने वाले सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ नवरात्रि में अवश्य करना चाहिए। लेकिन इस स्तोत्र का पाठ करने में कुछ सावधानियां भी हैं, जिनका ध्यान रखा जाना आवश्यक है।*

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*सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि*

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कुंजिका स्तोत्र का पाठ वैसे तो किसी भी माह, दिन में किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में यह अधिक प्रभावी होता है। कुंजिका स्तोत्र साधना भी होती है, लेकिन यहां हम इसकी सर्वमान्य विधि का वर्णन कर रहे हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन से नवमी तक प्रतिदिन इसका पाठ किया जाता है। इसलिए साधक प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने पूजा स्थान को साफ करके लाल रंग के आसन पर बैठ जाए। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सामान्य पूजन करें।

*अपनी सुविधानुसार तेल या घी का दीपक लगाए।*

अपनी सुविधानुसार तेल या घी का दीपक लगाए और देवी को हलवे या मिष्ठान्न् का नैवेद्य लगाएं। इसके बाद अपने दाहिने हाथ में अक्षत, पुष्प, एक रुपए का सिक्का रखकर नवरात्रि के नौ दिन कुंजिका स्तोत्र का पाठ संयम-नियम से करने का संकल्प लें। यह जल भूमि पर छोड़कर पाठ प्रारंभ करें। यह संकल्प केवल पहले दिन लेना है। इसके बाद प्रतिदिन उसी समय पर पाठ करें।

*कुंजिका स्तोत्र के लाभ*

धन लाभ जिन लोगों को सदा धन का अभाव रहता हो। लगातार आर्थिक नुकसान हो रहा हो। बेवजह के कार्यों में धन खर्च हो रहा हो उन्हें कुंजिका स्तोत्र के पाठ से लाभ होता है। धन प्राप्ति के नए मार्ग खुलते हैं। धन संग्रहण बढ़ता है।

शत्रु मुक्ति शत्रुओं से छुटकारा पाने और मुकदमों में जीत के लिए यह स्तोत्र किसी चमत्कार की तरह काम करता है। नवरात्रि के बाद भी इसका नियमित पाठ किया जाए तो जीवन में कभी शत्रु बाधा नहीं डालते। कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत हासिल होती है।

रोग मुक्ति दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ जीवन से रोगों का समूल नाश कर देते हैं। कुंजिका स्तोत्र के पाठ से न केवल गंभीर से गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि रोगों पर होने वाले खर्च से भी मुक्ति मिलती है।

कर्ज मुक्ति यदि किसी व्यक्ति पर कर्ज चढ़ता जा रहा है। छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है, तो कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ जल्द कर्ज मुक्ति करवाता है।

सुखद दांपत्य जीवन दांपत्य जीवन में सुख-शांति के लिए कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ किया जाना चाहिए। आकर्षण प्रभाव बढ़ाने के लिए भी इसका पाठ किया जाता है।

*इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।*

देवी दुर्गा की आराधना, साधना और सिद्धि के लिए तन, मन की पवित्रता होना अत्यंत आवश्यक है। साधना काल या नवरात्रि में इंद्रिय संयम रखना जरूरी है। बुरे कर्म, बुरी वाणी का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इससे विपरीत प्रभाव हो सकते हैं।

कुंजिका स्तोत्र का पाठ बुरी कामनाओं, किसी के मारण, उच्चाटन और किसी का बुरा करने के लिए नहीं करना चाहिए। इसका उल्टा प्रभाव पाठ करने वाले पर ही हो सकता है।

साधना काल में मांस, मदिरा का सेवन न करें। मैथुन के बारे में विचार भी मन में न लाएं।

श्री दुर्गा सप्तशती में से हम आपको एक ऐसा पाठ बता रहे हैं, जिसके करने से आपकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी। इस पाठ को करने के बाद आपको किसी अन्य पाठ की आवश्यकता नहीं होगी। यह पाठ है.. *•सिद्धकुंजिकास्तोत्रम्।* समस्त बाधाओं को शांत करने, शत्रु दमन, ऋण मुक्ति, करियर, विद्या, शारीरिक और मानसिक सुख प्राप्त करना चाहते हैं तो *•सिद्धकुंजिका स्तोत्र* का पाठ अवश्य करें। श्री दुर्गा सप्तशती में यह अध्याय सम्मिलित है। यदि समय कम है तो आप इसका पाठ करके भी श्रीदुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ जैसा ही पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। नाम के अनुरूप यह सिद्ध कुंजिका है। जब किसी प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा हो, समस्या का समाधान नहीं हो रहा हो, तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करिए। भगवती आपकी रक्षा करेंगी।

*सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महिमा*

भगवान शंकर कहते हैं कि सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले को देवी कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और यहां तक कि अर्चन भी आवश्यक नहीं है। केवल कुंजिका के पाठ मात्र से दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है।

*क्यों है सिद्ध*

इसके पाठ मात्र से मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन आदि उद्देश्यों की एक साथ पूर्ति हो जाती है। इसमें स्वर व्यंजन की ध्वनि है। योग और प्राणायाम है।

*संक्षिप्त मंत्र*

*ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥*

*(सामान्य रूप से हम इस मंत्र का पाठ करते हैं लेकिन संपूर्ण मंत्र केवल सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में है)*

*संपूर्ण मंत्र यह है।*

*ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।*

*कैसे करें*

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को अत्यंत सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए। प्रतिदिन की पूजा में इसको शामिल कर सकते हैं। लेकिन यदि अनुष्ठान के रूप में या किसी इच्छाप्राप्ति के लिए कर रहे हैं तो आपको कुछ सावधानी रखनी होंगी।

*1. संकल्प:-* सिद्ध कुंजिका पढ़ने से पहले हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लेकर संकल्प करें। मन ही मन देवी मां को अपनी इच्छा कहें।

*2.* जितने पाठ एक साथ ( 1, 2, 3, 5. 7. 11) कर सकें, उसका संकल्प करें। अनुष्ठान के दौरान माला समान रखें। कभी एक कभी दो कभी तीन न रखें।

*3.* सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के अनुष्ठान के दौरान जमीन पर शयन करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।

*4* प्रतिदिन अनार का भोग लगाएं। लाल पुष्प देवी भगवती को अर्पित करें।

*5.* सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में दशों महाविद्या, नौ देवियों की आराधना है।
सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ का समय प्रातः सुबह 06 बजे या
रात्रि 9 बजे करें तो अत्युत्तम।

*आसन*

लाल आसन पर बैठकर पाठ करें।

*दीपक*

घी का दीपक दायें तरफ और सरसो के तेल का दीपक बाएं तरफ रखें। अर्थात दोनों दीपक जलाएं।

*किस इच्छा के लिए कितने पाठ करने हैं।*

*1.* विद्या प्राप्ति के लिए….पांच पाठ
नवरात्रि के प्रत्येक दिन (9 दिन तक)
नवमी को 2 साल आयु की ब्राह्मण कन्या को भोजन खिलायें ।।

*2* यश-कीर्ति के लिए…. प्रत्येक दिन पांच पाठ 9 दिन तक 5 वर्ष की ब्राह्मण कन्या की पूजा करके पंचमी तिथि को भोजन खिलायें (देवी को चढ़ाया हुआ लाल पुष्प लेकर आलमारी आदि में रख लें)

*3.* धन प्राप्ति के लिए….9 पाठ प्रत्येक दिन
गाय को भोजन खिलायें।

*4.* मुकदमे से मुक्ति के लिए…सात पाठ प्रत्येक दिन, आखरी दिन नवमी को (पाठ के बाद एक नींबू काट दें। दो ही हिस्से हों ध्यान रखें। इनको बाहर अलग-अलग दिशा में फेंक दें)

*5.* ऋण मुक्ति के लिए….सात पाठ प्रत्येक दिन
पीपल वृक्ष में 12 लोटा जल नवरात्रि के प्रत्येक दिन चढ़ाना है।

*6.* घर की सुख-शांति के लिए…तीन पाठ नव रात्रि के प्रत्येक दिन ।
अष्टमी को 108 लाल रंग की फूल जलहरी में और शिव जी में 108 बेलपत्र व शमी पत्र चढ़ाना चाहिए ।

*7.* स्वास्थ्य के लिए…तीन पाठ (प्रत्येक दिन)
गाय को प्रत्येक दिन भोजन खिलायें।

 

 

*8.* शत्रु से रक्षा के लिए. 12 पाठ हर दिन नवरात्रि के (लगातार पाठ करने से मुक्ति मिलेगी)

*9.* रोजगार के लिए…7 बार पाठ कीजिए प्रत्येक दिन
भगवान श्री लक्ष्मी नारायण में कमल पुष्प और तुलसी पत्र अर्पण पंचमी तिथि को कीजिए।

*10.* सर्वबाधा शांति-नवरात्रि के प्रत्येक दिन 21 पाठ कीजिए।
8 वर्ष की एक ब्राह्मण कन्या को अष्टमी तिथि को भोजन खिलायें ,
श्वेत वर्ण की गाय को हरी घास खिलाएं,
शिव पार्वती जी में 108 बेल पत्र की माला चढ़ाएं।

11- संतान प्राप्ति के लिए 7 पाठ ,पति पत्नी दोनों प्रत्येक दिन कीजिए
5 वर्ष की ब्राह्मण कन्या की पूजन कर पंचमी को भोजन खिलायें।
माता रानी को खीर अर्पण कर स्वयं प्रसाद के रुप में ले।

(पं.कृष्ण कुमार तिवारी, पाटन)

*।।श्री सिद्धकुंजिकास्तोत्रम्।।*

*।।शिव उवाच।।*

*शृणु देवि प्रवक्ष्यामि* *कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।*
*येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत् ॥१॥*

*न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।*
*न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥२॥*

*कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।*
*अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥३॥*

*गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।*
*मारणं मोहनं वश्यं* *स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।*
*पाठमात्रेण संसिद्ध्येत्* *कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥४॥*

*।।अथ मन्त्रः।।*

*ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः*
*ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल*
*ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा*

*।।इति मन्त्रः॥*

*नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।*
*नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥१॥*

*नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन ॥२॥*

*जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ।*
*ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ॥३॥*

*क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ।*
*चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ॥४॥*

*विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥५॥*

*धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।*

*क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥६॥*

*हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।*

*भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥७॥*

*अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं*
*धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥*
*पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ॥८॥*

*सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे ॥*
*इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।*
*अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥*
*यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।*
*न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥*

*।।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती*
*संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्ण।।*

*पं.कृष्ण कुमार तिवारी*
(श्रीमद् भागवत आचार्य)
पाटन, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
फोन-9425568015

 

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