करन साहू, कुम्हारी 29 जुलाई । वार्ड परिसीमन पर उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए रोक के आदेश को आमजन की जीत बताते हुए कुम्हारी पालिकाध्यक्ष राजेश्वर सोनकर ने एक विज्ञप्ति जारी कर खुशी जताई है। उनके मुताबिक परिसीमन निहायत ही भेदभाव और द्वेषपूर्ण राजनीतिक कारणों से किया गया था जिससे जनभावनाओं के विपरीत वार्डों की सीमा तय की गई है। लेकिन इससे आमजन को होने वाली परेशानियों पर तनिक भी विचार ना करते हुए विपक्ष द्वारा स्वयं के हितों को साधने का प्रयास किया गया था जिसे अब माननीय उच्च न्यायालय ने रोक लगाकर इस बात की पुष्टि कर दी है। इस बाबत 12 पार्षदों ने कलेक्टर , नायाब तहसीलदार एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारी को कारण बताने के लिए इसकी सूचना एवं शिकायत की गई थी लेकिन किसी प्रकार का जवाब हमे नही मिला ना ही परिसीमन संबंधित कोई सूचना दी गई। मजबूर होकर हमे माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
माननीय न्यायालय ने इसपर रोक लगाते हुए इसका कारण 2019 में हुए परिसिमन मे 2011 के जनगणना को आधार बनाया गया था। किन्तु 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक जनगणना भी नही हुआ है जबकि जनगणना के बाद ही परिसीमन होना चाहिए। सोचनीय विषय है कि वर्तमान परिसीमन में भी वर्ष 2011 की जनगणना को ही आधार माना जा रहा है जो कि बिल्कुल गलत है। माननीय उच्च न्यायालय के इस फैसले से नगर के लोगों ने चैन की सांस ली है और खुशी जाहिर की है।