सदगुरु ही ईश्वर का रूप हैं: रामानंदाचार्य नरेंद्रचार्य जी के प्रवचनों से पाटन में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार
पाटन : 19 सितंबर – कृषि उपज मंडी परिसर में चल रहे श्री कथा यज्ञ के तीसरे दिन श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। व्यास पीठ से प्रवचन करते हुए श्रीरामानंदाचार्य नरेंद्रचार्य जी महाराज के कृपाप्राप्त शिष्य भूषण रोहित मोडे ने कहा कि “जिसने सदगुरु से दीक्षा ली, उसके जीवन का कल्याण सुनिश्चित है।
प्रवचन के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि ईश्वर और सदगुरु भिन्न नहीं, बल्कि एक ही हैं। “गुरु हमारे जीवन में जन्म-जन्मांतर से साथ रहते हैं। जब हम प्रेमपूर्वक सदगुरु की शरण में आते हैं, तब स्वयं ईश्वर हमारे पीछे आते हैं, जैसे भगवान श्रीराम शबरी के द्वार आए थे।
कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से 50 लोगों को नामदान की दीक्षा प्रदान की गई। शास्त्रोक्त विधियों के साथ पूजा, हवन, एवं रासलीला का आयोजन हुआ। इसके पश्चात भंडारा प्रसादी का वितरण किया गया।
जगद्गुरु नरेंद्राचार्य जी ने साधकों को सरल जीवन जीने की प्रेरणा दी – “रोज 10 मिनट भक्ति करें, किसी का बुरा स्वप्न में भी न सोचें, समाज के लिए कार्य करें और कठिन परिस्थिति में दूसरों की सहायता करें।
कार्यक्रम में दुर्ग के सांसद विजय बघेल, भाजपा प्रदेश मंत्री जितेंद्र वर्मा, नगर पंचायत अध्यक्ष योगेश निक्की भाले सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भाग लेकर रामानंदाचार्य जी की दिव्य सिद्ध पादुकाओं के दर्शन किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजकुमार पवार ने की और यजमान मोहन एवं मीरा देवांगन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
रामानंदाचार्य जी ने दो परंपराओं – नवनाथ और श्रीराम परंपरा – की गुरुपरंपरा से अपने संबंध को बताते हुए कहा, “इस कलियुग में ईश्वर स्वयं सदगुरु रूप में आते हैं। मुझे जिस स्वरूप में बुलाओगे, मैं आ जाऊंगा।