अंडा 06 अप्रैल : दुर्ग जिले के किसान नेता और स्वतंत्र जनपद सदस्य ढालेश साहू ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर गृह एवं पंचायत विभागों के मंत्री विजय शर्मा को आड़े हाथों लिया है उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार के नाकामियों और निकम्मेपन से पंचायत विभागों के काम ठप्प पड़े हुए हैं। इस वर्ष मनरेगा मजदूरों के काम नहीं हो पाए आचार संहिता के चलते काम रुका था और जब चुनाव संपन्न हुए उसके बाद भी बीते वित्तीय सत्र के बचे हुए डेढ़ महीने में किसी मनरेगा मजदूरों को काम नहीं मिल पाया। ऐसा पहली बार हुआ कि पूरे प्रदेश के हजारों पंचायत में मनरेगा के काम नहीं हो सके। यह सरकार की बड़ी असफलता और नाकामी है। मनरेगा मजदूरों के पास रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का इससे घटिया संचालन किसी सरकार में नहीं हुआ था ।
*पंचायत सचिवों कब लौटेंगे काम पर*
पंचायत सचिवों को हड़ताल में रखकर सरकार पंचायत के कामों को ठप करके रखना चाहती है ताकि क्षेत्र में कोई विकास कार्य न हो अभी तक पंचायत सचिवों के लिए कोई ठोस पहल नहीं किया जा सका है यह भी सरकार की घटिया सोच और रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है। पंचायतों में नए सत्ता सरकार का गठन हुआ है और उसके बाद सचिव हड़ताल पर बैठे हैं। पूरा पंचायत विभाग का काम ठप्प पड़ा हुआ है। और पंचायत और गृह मंत्री विजय शर्मा अदानी का सेब लेकर सुरक्षाबलों, जवानों को देकर फर्जी वाहवाही लूट रहे हैं।
*मनरेगा मजदूरों को 10000 मुआवजा दे सरकार*
उन्हें अदानी की चिंता है अदानी का बिजनेस बढ़ाने की चिंता है लेकिन गांव में निवासरत मनरेगा मजदूरों की चिंता नहीं है मंत्री शर्मा जी सुरक्षा बलों का मनोबल उठा रहे हैं अच्छी बात है होना भी चाहिए लेकिन अदानी की कंपनी का सेब दिया जा रहा है , ये इस संदेह को जन्म दे रहा है कि कही आदिवासियों को नक्सली बताकर जंगल साफ कर जमीन हड़पने का खेल तो नहीं चल रहा। कहीं ऐसा तो नहीं की अदानी के खर्चे पर जंगल लूटने का काम तो नहीं हो रहा, कहीं ऐसा तो नहीं कि अदानी पैसा खर्च कर रही जिसे सरकार अपने में जोड़ रही हो, आदिवासी, अबूझमाड़ इलाकों में अदानी के ब्रांडेड सेब पहुंच रहा है लेकिन पंचायत सचिवों, मनरेगा मजदूरों के लिए कोई राहत नहीं कैसी वाहवाही लूट रहे पंचायत मंत्री जी। मेरी मांग है कि सरकार मनरेगा मजदूरों को राहत राशि दे बीते 45 दिनों में काम नहीं दिला पाने के एवज में सरकार प्रत्येक मनरेगा मजदूरों को 10000 रुपए राहत राशि पहुंचाए। यदि पंचायत मंत्री यह मुआवजा राशि नहीं दे सकते तो उन्हें तत्काल अपने पंचायत विभाग से इस्तीफा देना चाहिए।