* एनएसएस विशेष शिविर विद्यार्थियों की प्रतिभा निखारने का अवसर : प्राचार्य डॉ. नंदा गुरवारा…
* 74 स्वयंसेवकों की सहभागिता के साथ पाटन कॉलेज का विशेष शिविर प्रारंभ…
पाटन: शासकीय चंदूलाल चंद्राकर स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पाटन (जिला दुर्ग, छत्तीसगढ़) की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई का सात दिवसीय विशेष शिविर 1 दिसंबर से ग्राम मटंग में प्रारंभ हुआ। प्राचार्य डॉ. नंदा गुरवारा के मार्गदर्शन एवं कार्यक्रम अधिकारियों डॉ. साधना राहटगांवकर तथा डॉ. एस.के. भारती के नेतृत्व में आयोजित यह शिविर सामाजिक जागरूकता और व्यक्तित्व विकास को समर्पित है।
शिविर का शुभारंभ प्राचार्य डॉ. गुरवारा ने पूजा-अर्चना और हरी झंडी दिखाकर स्वयंसेवकों को रवाना कर किया। शिविर में 74 स्वयंसेवक, 22 ग्रामीणजन तथा 4 अधिकारी-कर्मचारी भाग ले रहे हैं। उद्घाटन समारोह ग्राम पंचायत सरपंच अमित हिरवानी और प्रधानपाठक बलराम वर्मा के आतिथ्य में प्राथमिक शाला प्रांगण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में वरिष्ठ प्राध्यापक बी.एम. साहू एवं गणित विभागाध्यक्ष डॉ. आर.के. वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. साधना राहटगांवकर ने किया तथा आभार प्रदर्शन डॉ. एस.के. भारती द्वारा किया गया। अपने उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. नंदा गुरवारा ने स्वयंसेवकों को शिविर की नियमावली, अनुशासन और दैनिक गतिविधियों की जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि एनएसएस का विशेष शिविर विद्यार्थियों की प्रतिभा निखारने और व्यक्तित्व विकास का उत्कृष्ट अवसर है। उन्होंने स्वयंसेवकों को स्वास्थ्य, शिष्टाचार, अनुशासन और भाईचारे को प्राथमिकता देने की प्रेरणा दी।
सरपंच अमित हिरवानी ने शिविर आयोजन के लिए महाविद्यालय का आभार व्यक्त करते हुए हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. एस.के. भारती ने सात दिनों की गतिविधियों की रूपरेखा प्रस्तुत की, जबकि वरिष्ठ प्राध्यापक बी.एम. साहू ने “मैं नहीं, हम” तथा “वसुधैव कुटुंबकम्” का संदेश देते हुए निस्वार्थ सेवा के लिए प्रेरित किया। डॉ. आर.के. वर्मा ने स्वयंसेवकों को अनुशासन, स्वास्थ्य और टीम भावना पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी।
उद्घाटन सत्र के बाद स्वयंसेवकों, अधिकारियों और ग्रामीणों की सहभागिता में विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता रैली भी निकाली गई। शिविर में नितिन (बीए तृतीय वर्ष) को महादलनायक तथा पायल धीवर (बीए तृतीय वर्ष) को महादलनायिका बनाया गया है। सभी स्वयंसेवकों को विभिन्न दलों में विभाजित कर दलनायक भी नियुक्त किए गए हैं।



