पाटन 21 अगस्त : जनपद पंचायत पाटन अंतर्गत ग्राम पंचायत पतोरा एक मॉडल गांव के नाम से अपनी पहचान बनाई है। जो दुर्ग जिले की एक मात्र गांव है। यहां की सरपंच श्रीमती अंजिता गोपेश साहू के नेतृत्व में ग्राम पंचायत की तस्वीर बदली है। यहां की मकान में महिलाओं के नाम लिखी हुई नजर आती है। जिससे महिलाओं का पहचान बनी है। गांव में सीसीटीवी कैमरे से लेकर के वाईफाई तक का इंतजाम किया गया है। केन्द्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे ऐसा व्यवस्था इस पंचायत के द्वारा किया गया है। इन सबसे ऊपर उठाते हुए जिला पंचायत दुर्ग के द्वारा इस गांव को महत्वपूर्ण बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी यहां पर फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है जिससे बहुत ही गुणकारी जैविक खाद का निर्माण किया जाता है। साथ ही साथ घरों में उपयोग किया हुआ पानी जैसे स्नान , कपड़े धुवाई से निकले वाले जल को त्रिस्तरीय फिल्टर का कार्य भी इस ग्राम पंचायत के द्वारा किया जाता है। जिसका चर्चा पूरे जिले सहित प्रदेश में अन्य प्रदेशों में और देश विदेश में एक अलग पहचान ग्राम पंचायत पतोरा की बनी है। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर इनका नाम अंकित हुआ है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है जिसका श्रेय ग्राम पंचायत के सरपंच श्रीमती अंजिता गोपेश साहू को जाता है। जिसके लिए सरपंच को देश और प्रदेश में सम्मान मिला है।
लगातार जिला पंचायत दुर्ग के द्वारा इस ग्राम का भ्रमण बाहर से आए अतिथि अधिकारियों को कराया जाता है। वहीं प्रदेश के अन्य ग्राम पंचायत से भी जनप्रतिनिधियों को लाकर इस ग्राम पंचायत के विजिट कराया गया है। साथ ही जनपद पंचायत पाटन क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों को भी इस ग्राम का विजिट कराया गया है। भ्रमण कराया गया है। लेकिन बड़ी बात यह है कि पतोरा के अलावा ऐसा कोई ग्राम जिले में या जनपद पंचायत पाटन क्षेत्र अंतर्गत नहीं है। जिसका विजिट कराया जा सके। जिले में ऐसा कोई ग्राम पंचायत नही है जो ग्राम पतोरा का अनुसरण कर सके। पांच वर्ष पहले भी पतोरा गांव का भ्रमण अधिकारी करते थे या जनप्रतिनिधि विजिट करते थे।आज सत्ता परिवर्तन के बाद भी इस गांव का भ्रमण अधिकारी और जनप्रतिनिधि करते आ रहे हैं। जिले में ऐसा एक भी गांव नहीं है जिसको मॉडल के रूप में देखा जा सके। जिले के आधिकारी नई सरकार के जनप्रतिनिधियों को दुसरे पंचायत का भ्रमण करा सके ऐसा कोई पंचायत नही है।आखिर इस पर काम जिला प्रशासन के द्वारा क्यों नहीं किया गया। पांच वर्ष में अन्य गांवों को क्यों प्राथमिकता नहीं दी गई। अन्य गांव को क्यों मॉडल के रूप में नहीं देखा जा सकता। भ्रमण करने के बाद भी अन्य पंचायत के जनप्रतिनिधि क्यों ग्राम पंचायत पतोरा का अनुसरण नहीं किया। क्या इस पर जिला पंचायत को काम नहीं करना चाहिए। एक ही गांव को विजिट कर सिर्फ खाना पूर्ति क्यों।