*छत्तीसगढ़ में डीएपी की शॉर्टेज: अब सोसाइटियों से एनपीके भी गायब*
*एनपीके या ग्रोमोर खाद दिया जाना चाहिए*
पाटन-दुर्ग : खेती-किसानी का सीजन आ चुका है, लेकिन किसानों को अभी तक सुलभता से खाद नहीं मिल रही है। हालात यह हैं कि, डीएपी खाद नहीं होने पर विकल्प के तौर पर दे रहे एनपीके(NPK) खाद भी सोसायटियों में उपलब्ध नही है, जिसके कारण किसानों को खुले बाजार में महंगी कीमत में खाद खरीदनी पड़ रही है। डीएपी की शॉर्टेज है तो एनपीके या ग्रोमोर खाद दिया जाना चाहिए अतः सरकारी खाद गोदाम खाली, निजी दुकानों में स्टॉक फुल, किसान दोगुने दाम में खाद खरीदने पर मजबूर हो चुके है किसान चिंतित हैं।
वही किसान खेतों में खेती के लिए समय न देकर समितियों के चक्कर लगा रहे हैं. किसानों का कहना है कि अगर दो-चार दिनों में उन्हें बीज और खाद नहीं मिला तो वे इस साल धान की खेती करने में पिछड़ जाएंगे. इसकी वजह से फिर से एक बार उन्हें कर्ज का सहारा लेना पड़ेगा।

वही देवाशीष बघेल भूतपूर्व सेवा सहकारी सोसायटी संचालक मंडल सदस्य कुर्मीगुंडरा ने बताया की, छत्तीसगढ़ के अधिकतर सोसाइटी में खाद और धान का बीज नहीं है. दुर्ग जिले में खरीफ की फसल के लिए कुल 37 हजार 700 मीट्रिक टन खाद के भंडारण का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 15 हजार 800 मीट्रिक टन यूरिया, 7400 मीट्रिक टन सुपर फास्फेट, 9300 मीट्रिक टन डीएपी, 1600 मीट्रिक टन इफ्को और 3600 मीट्रिक टन पोटाश शामिल है. दिए गए लक्ष्य के अनुपात में भंडारित किए गए 13074 मीट्रिक टन यूरिया खाद में से 10192 मीट्रिक टन का वितरण हो चुका है. इसी तरह 2975 मीट्रिक टन फास्फेट में से 2525 मीट्रिक टन का वितरण हो चुका. सिर्फ 20 समितियों में ही डीएपी का स्टॉक है।
4917 मीट्रिक टन डीएपी में से 4722 मीट्रिक टन का उठाव हो चुका है. वर्तमान में 145 मीट्रिक टन डीएपी खाद ही बचा हुआ है. दुर्ग जिले में बोनी के समय में किसानों में खाद और बीज की भारी डिमांड है. ऐसे में जिले की 86 में से मात्र 20 समितियों में ही डीएपी का स्टॉक है. इससे किसानों को किसानी छोड़कर बार-बार समितियों का चक्कर लगाना पड़ रहा है. किसानों के मुताबिक समितियों से उन्हें स्वर्णा धान का बीज नहीं मिल पा रहा है. फसल पिछड़े न इसके लिए वह 1001, 1010, मौखरी, आईआर 36, महामाया, राजेश्वरी, क्रांति जैसे दूसरे धान के बीच की मांग कर रहे हैं, लेकिन समिति में किसी भी किस्म के धान का बीज नहीं है।